दिवाली या दीपावली हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. दिवाली को दीपों को पर्व भी कहा जाता हैं. यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत के रुप में मनाया जाता हैं. इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं.
इस दिन लोग अंधकार को दूर करके प्रकाश की रोशनी फैलाते हैं. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का पर्व मनाया जाता हैं. इस दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती हैं.
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष विधान है. इस संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं. दिवाली पर लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न और अमावस्या तिथि पर करना सबसे शुभ होता हैं.
शुभ मुहूर्त :
- वृषभ काल – 06:35 से 08:33
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:36 से 06:02 तक
- संध्या पूजन- शाम 05:36 से 06:54 तक
- निशिथ काल पूजा- रात्रि 11:39 से 12:31 तक
दिवाली पर इस विधि से करें लक्ष्मी पूजा
दिवाली पर सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और इसके बाद विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा करें, ऐसा करने बाद व्रत का संकंल्प लें. इसके बाद पूजा मुहूर्त में घर के ईशान कोण में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की नई प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें.
इसके बाद गंध-पुष्प, धूप-दीप इत्यादि से माता लक्ष्मी की विधिव्रत उपासना करें. पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और भगवान गणपति के मंत्रों का जाप करें व स्तोत्र का पाठ करें. पूजा के अंत में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें.
माता लक्ष्मी मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नमः
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्