उत्तर प्रदेश में योगी सरकार युवाओं को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है. पशुपालन और परपशुचिकित्सा के क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट कोर्स शुरू करने के लिए प्रयास शुरू हो चुका है. जिसका उद्येश्य ग्रामीण इलाक़ों में पशु चिकित्सा सेवाओं को और मज़बूत बनाना है. इस नई नीति के तहत राज्य में निजी संग सरकारी संस्थानों में पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट कोर्स संचालित किए जा सकेंगे.

प्रदेश के पशुधन मंत्री का कहना है कि बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल में वृद्धि की आवश्यकता को देखते हुए यगी सरकार ने डिप्लोमा और सर्टिफ़िकेट कोर्स के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है.

इस नीति के तहत पैरावेट्स को टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल और पशु स्वास्थ्य सेवाओं के अन्य आवश्यक पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाएगा. यह कदम पशुपालन और परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा और पैरावेट्स को पेशेवर रूप से सशक्त बनाएगा.

योगी सरकार ने नीति तैयार करने के लिए पशुधन विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. समिति ने अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट तैयर की है. जिसके आधार पर राज्य में परपशुचिकित्सा और पशुपालन से जुड़े कोर्स की नीति बनाई गई है. इस नीति के तहत संस्थानों की संबद्धता, पाठ्यक्रमों की एकरुपता और मानक निर्धारण किया जाएगा.

इस कदम से ग्रामीण इलाक़ों में पैरावेट्स की संख्या बढ़ेगी और वे पशु चिकित्सा सेवाओं में अधिक योगदान दे सकेंगे. राज्य सरकार का यह निर्णय प्रदेश के पशुपालन और कृषि क्षेत्र में रोज्गार के नए अवसर प्रदान करेगा.