देश की सुप्रीम कोर्ट ने आज दिए अपने एक अहम फैसले में से साफ कर दिया है कि हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर 7500 किलोग्राम के हैवी ट्रांसपोर्ट व्हीकल को चला सकेंगे.
दरअस्ल ये मामला कुछ एक्सीडेंट क्लेम को खारिज करने के बाद देश की सर्वोच्य अदालत की चौखट तक पहुंचा था. कई बीमा कंपनियों ने ऐसे मामलों के क्लेम को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि दुर्घटनाएं ऐसे लोगों द्वारा परिवहन वाहन चलाने से संबंधित थी जिनके पास विशिष्ठ ट्रांसपोर्ट वाहन ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ की ओर से ये दिए गए इस फैसले से बीमा कंपनियों को झटका जरूर लगा है.
सुप्रीम कोर्ट में साल 2017 से जुड़ा एक मामला आया जिसमें 7 साल वहले एलएमवी लाइसेंस धारक मुकुंद देवांगन वाहन चला रहा था और उसका एक्सीडेंट हो गया.
इस मामले में जब क्लेम का दावा किया गया तो ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने दावा किया कि उसका लाइसेंस सिर्फ हल्के निजी वाहनों के लिए था ना कि कामर्शियल या ट्रांसपोर्ट व्हीकल के लिए.
इसके बाद मामला देश की सर्वोच्य अदालत की चौखट पर पहुंचा. इस मामले में सुनवाई का अहम मुद्दा ये था कि क्या एक व्यक्ति जिसके पास लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस है वह टैक्सी या अन्य कामर्शियल और ट्रांसपोर्ट व्हीकल चला सकता है या नहीं.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसे ट्रांसपोर्ट व्हीकल जिनका वनज 7500 किलोग्राम से ज्यादा नहीं है उन्हें लाइट मोटर व्हीकल की परिभाषा से बाहर नहीं रख सकते.
अदालत ने इसे कानूनी सवाल बताया और अटार्नी जनरल से भी सहायता मांगी है. कोर्ट का मानना है कि ये पॉलिसी से जुड़ा मुद्दा है जो लाखों लोगों के रोजगार पर असर डाल सकता है. सरकार को इस मामले पर नए सिरे से बवचार करने की जरूरत है.