Sarvapitri Amavasya: सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता हैं. वही अगर अमावस्या पितृ पक्ष के दौरान आए तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता हैं. सनातन धर्म के अनुसार यह तिथि पितरों को समर्पित है. सर्वपितृ अमावस्या को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता हैं.

सर्वपितृ अमावस्या की अपनी विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इस दिन पितरों का पूजन करने से घर-परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता हैं. पंचाग के अनुसार हर वर्ष आश्र्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर पड़ने वाली अमावस्या को सर्वपितृ कहा जाता हैं.

सर्वपितृ अमावस्या के दिन स्नान और दान के साथ ही पितरों का तर्पण किया जाता है और पितरों का पूजन होता है.

कब है सर्वपितृ अमावस्या

इस साल 2 अक्तूबर बुधवार के दिन सर्वपितृ अमावस्या पड़ रही है अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है. जिनका श्राद्ध उनकी मृत्यु की तिथि पर ना किया गया हो या फिर उनकी मृत्यु कि तिथि याद ना हो.

सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्धकर्म किसी नदी के तट पर या पीपल के पेड़ के नीचे करना अच्छा माना जाता है. कहते है ऐसा करना श्रेष्ठ है क्योंकि इससे पूर्वज आसानी से जल और अन्न को ग्राहण कर पाते हैं. वही इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष दूर हो जाता है.

और जो पितृ नाराज होते हैं उनकी नाराजगी भी दूर हो जाती है. पितृ अमावस्या के दिन प्तरों के तर्पण के बाद पितृ चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता हैं.

सर्व पितृ अमावस्या 2024 सूर्य ग्रहण का समय

  • सूर्य ग्रहण की शुरुआत – 1 अक्टूबर 2024, रात 09.40
  • सूर्य ग्रहण की समाप्ति – 2 अक्टूबर 2024, सुबह 3.17

सर्वपितृ अमावस्या पर लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. ऐसे में आप बिना किसी संशय के इस दिन श्राद्ध कर्म कर सकते हैं.

तर्पण के अलावा इस काम से करें पितरों प्रसन्न

पितृ पक्ष में पौधे लगाने से पितृदोष  निवारण में सहायता मिलती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार पीपल, बेल, तुलसी आदि पौधों में भगवान विष्णु और अन्य देवों का वास होता है. मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण के अलावा अगर नदी किनारे, मंदिर, या किसी तीर्थ स्थान पर आप ये पौधे लगाते हैं तो पितर प्रसन्न होकर खुशहाली का आशीष देते हैं.