हाल ही में दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदल कर बिरसा मुंडा चौक रख दिया गया है. सरकार ने आदिवासी महापुरुष और क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर ये ऐलान किया. तो चलिए आपको भी बताते है कि आखिर क्या था सराय काले खान का इतिहास.

शेरशाह सूरी के समय में सड़कों का मुकम्‍मल जाल बिछाया गया उसको बाद में जीटी रोड कहा गया. बता दें की इसी समय सबसे पहले सराय शब्द शुरु किया गया था. जब शेरशाह ने जब सड़कें बनवाईं तो उसने यात्रियों/कारवां/सैनिकों के रुकने-ठहरने के लिए हर 12 मील पर एक सराय बनवाई थी जिसमें लोग आराम कर सकते थे.

बताया जाता है कि 14 और 15वीं सदी के समय सूफी संत काले खां हुए जो अपने अन्य साथियों के साथ इसी सराय में रुका करते थे. इस समय में लोदी काल का एक गुंबद भी बनाया गया था. जिसपर 1481 की तारिख लिख आज भी लिखी हुई है. कहा यह भी जाता है कि बहलोल लोदी के युग में एक दरबारी काले खां उनके दरबार में थे.

लोगों का कहना यह भी है कि एक पुराने गांव की वजह से ही इसका नाम सराय काले खां पड़ गया था. असल में बात यह है कि 14 और 15 वीं सदी में एक गांव हुआ करता था जिसका नाम सराय काले खां था. इस गांव में ज्यादातर लोग गुर्जर समाज के रहने वाले थे. सालों बाद दिल्ली का विकास हुआ तो यह गांव एक शहर में पूरी तरह से बदल गया.

बता दें की बहादुर शाह जफर के दरबार में रहे नवाब कासिम जान के बेटे नवाब फैजुल्‍लाह बेग ने सूफी संत की याद में 18वीं सदी में अहाता काले खान बनवाया था. जो कि कुछ सालों के लिए अहाता मिर्जा गालिब की बहन के कब्जे में रहा था. इसी के साथ ही मुगल बादशाह जफर के आध्यात्मिक गुरु का नाम भी काले खां ही था.

जानकारी के लिए बता दें कि अभी के समय में सराय काले खान दिल्ली के दक्षिण पूर्व दिल्ली जिले का हिस्सा है. हां पर अंतर्राज्‍यीय बस टर्मिनस (ISBT) है. इसी के साथ ही यह जगह हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एकदम जुड़ा हुआ हैं.

क्‍यों रखा गया बिरसा मुंडा चौक:

दिन शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के रिंग रोड पर स्थित बांसेरा पार्क में जाने के लिए महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती पर उनकी मुर्ति का अनावरण करते हुए कहा कि 15 नवंबर 2025 तक पूरा वर्ष ‘‘आदिवासी गौरव दिन’’ ​​के रूप में मनाया जाएगा.

इसी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि- 25 तक पूरा वर्ष ‘‘आदिवासी गौरव दिन’’ ​​के रूप में मनाया जाएगा. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में यह घोषणा की थी कि भारत में हरदम यह दिन एक आदिवासी गौरव दिन के रुप में मनाया जाएगा. इसका कारण यह है कि इसी दिन भगवान बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड में हुआ था.

इसी के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के जीवन को हम दो भागों में बांटकर देख सकते है. जिसनें एक भाग में आदिवासी संस्कृति की रक्षा और दूसरे भाग में देश के लिए शाहिदों द्वारा दिए गए बलिदान. 25 साल की उम्र में उन्होने एक ऐसी गाथा लिखी जिसे आज भी याद किया जाता है. इसी बीच केंद्रीय आवास एंव शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सराय काले खां का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा चौक रख दिया हैं.