प्याज की बढ़ी क़ीमतों ने घरों के किचन का बजट बिगाड़ दिया है. बाज़ार में सबसे महंगा प्याज़ बिक रहा है. आम आदमी के लिए अपनी थाली में प्याज़ को शामिल करना अब मुश्किल पड़ रहा है. मौजूदा समय में देशभर में प्याज़ 80 से 100 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है. हालाँकि टमाटर और आलू की क़ीमतें भी परेशान कर रही हैं लेकिन इन सबमें अब प्याज़ के दाम आगे निकल चुके हैं.

एक्स्पर्ट्स का मानना है कि प्याज की उंची क़ीमत रिटेलर्स पर नियंत्रण नहीं करने की वजह से है. खुदरा व्यापार में ढिलाई के चलते प्याज़ की क़ीमतें उंची बनी हुई हैं.

जानकारों के मुताबिक़ खुदरा विक्रेताओं के साथ हमेशा क़ीमतों को लेकर समस्या रहती है क्योंकि उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता. सरकार केवल थोक व्यापार को नियंत्रित करती है. जिसका फ़ायदा उठाकर खुदरा विक्रेता क़ीमतें बढ़ा देते हैं. कई शहरों में भंडारण सुविधाओं की कमी के चलते एजेंट व्यापार पर मोनोपॉली बना लेते हैं.

खुदरा दुकानों की तुलना में कृषि उपज विपणन समिति यानी मंडियों में प्याज़ का मॉडल मूल्य महाराष्ट्र के नासिक के लासलगांव में क़रीब 5800 रुपए प्रति कुंटल का भाव रहा. दिल्ली एनसीआर में एक हफ़्ते पहले प्याज की क़ीमत 50 से 60 रुपए प्रति किलो थी जो अब बढ़कर 70 से 75 प्रति किलोग्राम हो गयी. वहीं केंद्र नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी सहकारी समितियों के अलावा मदर डेयरी के सफल स्टोर के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं को 35 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्याज बेच रहा है.

कृषि जिंस निर्यातक संघ के अध्यक्ष एम मदन प्रकाश ने कहा कि नासिक चेन्नई तक प्याज पहुंचने में 48 घंटे लगते हैं. शहरों में जो प्याज अभी बिक रहा है, वह पिछले सप्ताह खरीदा गया होगा. उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में प्याज पहुंचने में 10 रुपए प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त खर्च आता है. अगर नासिक में प्याज़ 40 रुपए में खरीदा जाता है तो परिवहन और अन्य लागतों सहित इसकी कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम हो सकती है. व्यापारियों के लिए 10 रुपए प्रति किलोग्राम जोड़ा जा सकट है. लेकिन खुदरा विक्रेता अधिक कीमत वसूल रहे हैं.