भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा पिछले दिनों इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. उनके देहांत के बाद उनके पद पर रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को बैठाया गया है.

अपनी जिंदगी की लगभग तमाम संपत्ति को जन कल्याणकारी कामों के लिए दान करने वाले रतन टाटा ने अपनी तीन सबसे प्रिय संपत्तियां किसके नाम की है और क्यों? सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हो रही हैं.

रतन टाटा की तीन सबसे प्रिय संपत्तियों में एक पिस्तौल, बंदूक और राइफल शामिल हैं. इसका जवाब है मेहली मिस्त्री. रतन टाटा ने अपनी तीन सबसे प्रिय संपत्तियां का मालिकाना हक मेहली मिस्त्री को दिया है. देश के सबसे पुराने बंदूक लाइसेंस धारकों में से एक होने के बावजूद टाटा द्वारा शायद ही इनका कभी इस्तेमाल किया गया हो.

कहां से आए थे ये हथियार?

एक रिपोर्ट के मुताबिक माना जाता है कि यह तीनों चीजें रतन टाटा को तोहफे मिली थी. इन तीनों में से एक सुमंत मूलगांवकर ने रतन टाटा को तोहफे में दी थी. जो 1988 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी बनने से पहले टाटा मोटर्स के अध्यक्ष थे. सुमंत को शिकार का बहुत शौक था और वो इनके ज़रिए शिकार किया करते थे.

हालांकि यह बात तब की है जब वन्यजीव संरक्षण नियम लागू नहीं हुआ था. इसके अलावा अन्य दो भी उनको विरासत में मिले थे. एक उनके पिता नवल टाटा से और दूसरा जेआरडी टाटा से, जो टाटा समूह के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्ष थे.

निधन के बाद पुलिस ने कर ली थी जब्त:

रतन टाटा के हाल ही में निधन के बाद उनके हथियारों को पुलिस शस्त्रागार में सौंप दिया गया था. इन हथियारों को वापस पाने के लिए मिस्त्री को आत्मरक्षा, खेल गतिविधियों या सजावटी उद्देश्यों के लिए उनके उपयोग का हवाला देते हुए लाइसेंस प्राप्त करना होगा.

सूत्रों ने कहा कि अगर उनके पास कोई हथियार है तो वे अपने मौजूदा लाइसेंस के तहत भी इनका पंजीकृत भी कर सकते हैं. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मिस्त्री सजावटी श्रेणी का विकल्प चुनेंगे. अगर वे ऐसा करते हैं तो पुलिस फायरिंग पिन को निष्क्रिय कर देगी. जिससे हथियार गोला-बारूद को छोड़ने में असमर्थ हो जाएंगे.