शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में सबकुछ है लेकिन वो सुकून नहीं जो गांव की मिट्टी में है. भले ही वहां ऐशो आराम के उतने संसाधन ना हों लेकिन एक अलग तरह का सुकून पाया जाता है.
खुली हवा, खेल खलिहान, चारो आरे हरियाली, चारपाई पर सोना, पेड़ की छांव में बैठना, चूल्हे का बना खाना खाने में जो मजा है वो बड़े से बड़े 5 स्टार होटल के खाने में ना मिलेगा.
भारत के कुछ ऐसे गांव हैं जहां पर देश-विदेश से टूरिस्ट घूमने के लिए आते हैं. ऐसा ही एक गांव है राजस्थान के अजमेर जिले का देवमाली गांव.
इस गांव को भारत सरकार की ओर से बेस्ट टरिस्ट विलेज के अवार्ड के लिए नामित किया जा चुका है. केंद्र सरकार 27 नवंबर को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में इस गांव को पुरस्कार दिया जाएगा.
एक ओर जहां भारत के गांव-गांव में लोग पक्के मकान बनाने लगे हैं वहीं इस गांव में एक भी पक्का मकान नहीं बनाया गया है. यहां के लोग कहते हैं कि पैसा भले ही जितना कमा लें लेकिन पक्का मकान नहीं बनाएंगे. देवमाली गांव के लोग भगवान देवनारायण की सच्चे मन से पूजा करते हैं.
यहां के लोगों ने भगवान देवनारायण से वादा किया है कि इस गांव में कोई पक्का घर नहीं बनेगा. सालों से इस परंपरा का पालन भी किया जा रहा है. यहां पर घास-फूस की छत वाले मिट्टी के बने घर आपको दिखाई देंगे. इस गांव का कोई भी व्यक्ति ना तो मांसाहार का सेवन करता है और ना ही मदिरापान करता है.
इस गांव में केरोसीन और नीम की लकड़ी जलाने पर भी पाबंदी है. इस गांव में बना भगवान देवनारायण का मंदिर यहां का एक फेमस टूरिस्ट प्लेस है. हर साल यहां पर हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं.
गांव वाले बताते हैं कि कई साल पहले जब भगवान देवनारायण इस गांव में पहुंचे तो उन्होंने स्थानीय समुदाय से रहने की जगह मांगी. वहां के लोगों ने उनके लिए एक घर तो बनाया साथ ही कभी स्थायी घर नहीं बनाने का भी फैसला किया.
इस गांव के केवल सरकारी इमारतें और मंदिर ही पक्के बने हुए हैं. देवमाली गांव के लोग अपने घरों में कभी ताला भी नहीं लगाते. गांव के रहने वाले बताते हैं कि उन्हें भगवान देवनारायण पर पूरा भरोसा है, वो हमारे साथ कुछ भी गलत नहीं होने देंगे. गांव के ताला ना लगाने के बावजूद भी दशकों से यहां पर चोरी या डकैती का कोई मामला सामने नहीं आया है.