ट्रेन में सफर के दौरान कोच और प्लेटफॉर्म पर घूमते अवैध वेंडर रेल यात्रियों के स्वास्थ्य और जानमाल के लिए खतरा हैं, लेकिन जल्द ही यात्री अपने स्मार्टफोन से असली-नकली वेंडरों की आसानी से पहचान कर सकेंगे. भारतीय रेल में सभी कैटरिंग ठेकेदारों के वेंडरों-सहायकों के लिए QR Code युक्त पहचान अनिवार्य किया जा रहा हैं.
QR Code से क्या-क्या पता लगेगा?
इस QR Code को स्कैन करने पर यात्री के मोबाइल स्क्रीन पर वेंडर का नाम, पता , आधार नंबर, लाइसेंसी ठेकेदार का नाम आदि की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी. इसमें बेडरोल आपूर्ति करने वाले कोच सहायकों, ऑनबोर्ड हाउस कीपिंग ठेकेदार के सफाई कर्मियों को भी शामिल किया गया है.
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि QR Code आधारित पहचान पत्र में वेंडरों-सहायकों की फोटो, पुलिस सत्यापन की तारीख, स्वास्थ्य फिटनेस प्रणाम पत्र, ठेके की अवधि आदि के दस्तावेज को देखा जा सकता है.
लाइसेंसी ठेकेदारों को होता है नुकसान:
दरअसल, चलती ट्रेन में अवैध वेंडर गुणवत्ताहीन खाद्यान्न, पेयपदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, स्नैक्स, चाय-काफी आदि बिक्री कर स्टेशन आने से पहले उतर जाते हैं. स्टेशनों पर भी चोरी-छिपे इस काम को अंजाम देते है. इससे न सिर्फ लाइसेंसी ठेकेदार को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि रेल यात्रियों की सेहत से भी खिलवाड़ होता है.
QR Code को लेकर क्या कहते है अधिकारी?
भारतीय रेल में सभी कैटरिंग ठेकेदारों के वेंडरों-सहायकों के लिए क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र अनिवार्य किया जा रहा है. इसपर अभी काम चल रहा है. जल्द ही रेल यात्री अपने स्मार्टफोन से असली-नकली वेंडरों की पहचान कर सकेंगे. – विशाल कुमार सिंह, डीसीआई, सिवान
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