भारत में गंगा नदी आस्था का केंद्र है। प्रमुख शहर हरिद्वार, ऋषिकेश, कानपुर, इलाहाबाद, पटना, कोलकाता गंगा नदी के तट पर ही जीवंत हैं। ना सिर्फ़ यह जीवनरेखा का काम करती है बल्कि आस्था का केंद्र भी है। यही वजह है कि इसे भारत की सबसे पूजनीय नदी माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं पाकिस्तान में लोग किस नदी को पूजते हैं जो उनके लिए जीवनरेखा का काम करती है। दरअसल, यह नदी सिंधु नदी है जिसका पाकिस्तान में ख़ास महत्व है।

सिंधु नदी पाकिस्तान की सबसे लंबी और सबसे महत्वपूर्ण नदी है, और यह देश की कृषि, जल आपूर्ति, और अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार है। माना जाता है क़रीब 5 हज़ार साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता की शुरुआत इसी सिंधु नदी के तट पर हुई थी।

प्राचीन सभ्यता का केंद्र

सिंधु नदी प्राचीन काल में सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र थी, जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व के बीच फली-फूली थी और हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे महत्वपूर्ण शहरों को सिंधु नदी ने पोषित किया।

कृषि और सिंचाई का आधार

सिंधु नदी पाकिस्तान की कृषि का मुख्य आधार है। इसके पानी से पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रमुख कृषि क्षेत्र सिंचित होते हैं। सिंधु नदी की सिंचाई प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणालियों में से एक है। गेहूं, चावल, गन्ना, और कई अन्य फसलों की खेती इस नदी के जल से होती है, जो पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

आर्थिक और सांस्कृतिक जीवनरेखा

सिंधु नदी पाकिस्तान के लिए एक आर्थिक जीवनरेखा है। यह न केवल कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा उत्पादन, परिवहन, और व्यापार के लिए भी उपयोगी है। इस नदी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि यह कई समुदायों के लिए एक पवित्र नदी है। इसके किनारे बसे लोग इसे जीवनदायिनी मानते हैं और इसे सम्मान देते हैं।

सिंधु नदी के विभिन्न नाम और स्थान

सिंधु नदी को स्थानीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे दरिया-ए-सिंध और सिंधु दरिय। यह नदी तिब्बत के मानसरोवर झील से निकलती है, फिर लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, और पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों से होते हुए अरब सागर में गिरती है।