वन नेशन वन इलेक्शन बिल आज लोकसभा में पेश हो गया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ये बिल संसद के पटल पर रखा. इस बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं लेकिन कई विपक्षी दलों ने इस बिल का सपोर्ट करके विपक्षी एकजुटता को भंग करने का काम किया है.
वन नेशन वन इलेक्शन बिल
भाजपा के अलावा एनडीए के सभी सहययोगी दल इस बिल के सपोर्ट में हैं, इसके अलावा विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस और बसपा ने भी इस बिल पर सरकार का समर्थन करने का एलान कर दिया है.
वहीं कांग्रेस, सपा, आरजेडी, टीएमसी, पीडीपी समेत कई दल खुलकर इस बिल(वन नेशन वन इलेक्शन) के विरोध में उतर गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि ये बिल संविधान को बदलने का बिगुल है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस बिल(वन नेशन वन इलेक्शन) का खुलकर विरोध किया और कहा कि लोकतांत्रिक संदर्भों में ‘एक’ शब्द ही अलोकतांत्रिक है. लोकतंत्र बहुलता का पक्षधर होता है. ‘एक’ की भावना में दूसरे के लिए स्थान नहीं होता. जिससे सामाजिक सहनशीलता का हनन होता है. व्यक्तिगत स्तर पर ‘एक’ का भाव, अहंकार को जन्म देता है और सत्ता को तानाशाही बना देता है.
‘एक देश-एक चुनाव’ का फ़ैसला सच्चे लोकतंत्र के लिए घातक साबित होगा. ये देश के संघीय ढांचे पर भी एक बड़ी चोट करेगा. इससे क्षेत्रीय मुद्दों का महत्व ख़त्म हो जाएगा और जनता उन बड़े दिखावटी मुद्दों के मायाजाल मे फंसकर रह जाएगी, जिन तक उनकी पहुँच ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि ‘एक देश-एक चुनाव’ का विचार इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही पलटने का षड्यंत्र है, एक तरह से ये संविधान को ख़त्म करने का एक और षड्यंत्र भी है. इससे राज्यों का महत्व भी घटेगा और राज्यसभा का भी.
कल को ये भाजपावाले राज्यसभा को भी भंग करने की माँग करेंगे और अपनी तानाशाही लाने के लिए नया नारा देंगे ‘एक देश-एक सभा’ जबकि सच्चाई ये है कि हमारे यहाँ राज्य को मूल मानते हुए ही ‘राज्यसभा’ की निरंतरता का सांविधानिक प्रावधान है. लोकसभा तो पाँच वर्ष तक की समयावधि के लिए होती है.
ऐसा होने से लोकतंत्र की जगह एकतंत्रीय व्यवस्था जन्म लेगी, जिससे देश तानाशाही की ओर जाएगा. दिखावटी चुनाव केवल सत्ता पाने का ज़रिया बनकर रह जाएगा.
अखिलेश यादव ने कहा कि अगर भाजपाइयों को लगता है कि वननेशन वन इलेक्शन अच्छी बात है तो फिर देर किस बात की, केंद्र व सभी राज्यों की सरकारें भंग करके तुरंत चुनाव कराइए. दरअसल ये भी ‘नारी शक्ति वंदन’ की तरह एक जुमला ही है.
शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ है, ये संविधान पर हमला है, चुनाव की प्रक्रिया के साथ छेड़खानी है, दरअस्ल बीजेपी सत्ता को हथियाना चाहती है और हम इस बिल(वन नेशन वन इलेक्शन) का विरोध करेंगे. इसके अलावा तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, ममता बनर्जी, जेएमएम सहित तमाम दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
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