कभी आपने सोचा है आख़िर समंदर के पानी में इतना नमक कहां से आ गया। आख़िर क्यों समुद्र और महासागरों का पानी खारा होता है। क्या है समुद्र के खारे पानी की वजह चलिए जानते हैं।
दरअसल, समुद्र के पानी में नमक का आना एक लंबे भूवैज्ञानिक प्रक्रिया का परिणाम है। जो लाखों सालों से चली आ रही है। समुद्र में नमक का स्रोत मुख्य रूप से नदियों, ज्वालामुखीय गतिविधियों और समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले खनिज हैं।
नदियों के माध्यम से
जब बारिश का पानी चट्टानों और मिट्टी पर गिरता है। तो वह कुछ खनिजों और लवणों को घोल कर बहा ले जाता है। ये नदियाँ अंततः समुद्र में गिरती हैं और अपने साथ यह लवण भी लेकर आती हैं। धीरे-धीरे यह लवण समुद्र में जमा होता जाता है। जिससे पानी खारा होता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। नदियों और समंदर के निर्माण से चली आ रही है।
ज्वालामुखीय गतिविधियाँ
समुद्र तल के नीचे होने वाले ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण भी नमक समुद्र में आता है। ज्वालामुखी से निकलने वाले गैस और अन्य पदार्थ जैसे सल्फर और क्लोरीन समुद्री जल में घुलकर उसे खारा बनाते हैं।
हाइड्रोथर्मल वेंट्स
समुद्र तल के नीचे पाए जाने वाले हाइड्रोथर्मल वेंट्स से भी खनिज और नमक निकलते हैं। जब समुद्री जल इस गर्मी के संपर्क में आता है। तो खनिज उसमें घुल जाते हैं और नमक की मात्रा बढ़ जाती है।
बाष्पीकरण
समुद्र के पानी का बाष्पीकरण भी नमक की मात्रा बढ़ाता है। जब पानी सूर्य की गर्मी से वाष्पित होता है। तो नमक पानी में रह जाता है और समय के साथ नमक की सांद्रता बढ़ती जाती है।