Indian Note: भारत की करेंसी उतनी ही पुरानी है. जितनी भारत की सभ्यता है. भारत में सिक्कों का चलन तो 2000 वर्ष पहले से हो रहा हैं. सिक्कों को बनाने के लिए तांबे चांदी और सोने जैसे धातुओं को इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, सोने और चांदे के सिक्कों का भी चलन रहा है.

आज ही की तरह उस समय भी सोने और चांदी के सिक्कों का मूल्य बहुत ज्यादा होता था.लेकिन सिक्कों और नोट का इतिहास काफी दिलचस्प है. भारत में सिक्कों का चलन जहां सालो पुराना रहा है वही नोटो का चलन ज्यादा पुराना नहीं है

कागजी नोट में नहीं होता कागज :

दरअसल भारतीय नोटों यानी 10, 20, 50, 100, 200 और ₹500 की कागजी मुद्रा में कागज तो होता ही नहीं है. अरे क्या?? जी हां। चौंक गए ना आप। दरअसल यह बना होता है 100% कपास से. जिसे हम रूई भी कहते हैं. इसके बारे में भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआई भी जानकारी दे चुका है.

कपास की ये है खासियत :

दरअसल कपास के रेशे में एक फाइबर पाया जाता है, जिसे लेनिन कहते हैं. वही लेनिन का इस्तेमाल भारत की कागजी मुद्रा को बनाने में किया जाता है. इसके अलावा गैटलिन और एडहेसिव सॉल्यूशन को भी भारतीय नोटों में इस्तेमाल करते हैं.

नोट नहीं होते फिर जल्दी खराब :

इससे होता ये है की नोट जल्दी खराब नहीं होते और अधिक समय तक चलन में रहते हैं. यह तो सभी को पता है की छपाई करते समय कई तरह के सिक्योरिटी फीचर को नोटों में डाला जाता है, जिससे नकली नोट की छपाई को रोका जा सके. तो आज हमने आपको बताया कि भारतीय कागजी मुद्रा में 0% कागज का इस्तेमाल किया जाता है.