सभी भारतीयों के लिए दीवाली का पावन पर्व बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं. दीवाली के आने के कुछ दिनों पहले से ही बाजारो में रौनक देखने को मिलने लगती हैं. सभी लोग अपने लिए कपड़े, ज्वैलरी से साथ- साथ घर की सजावट का समान लेने के लिए बाजार पहुँचते हैं. दीवाली के आस पावन पर्व पर लोग अपने घरों में रंग-बिरंगी लाइट लगाते हैं.

दीवाली का पर्व साल के कार्तिक महीने की अमावस तिथि को मनाया जाता हैं. दीवाली के पर्व पर लोग भगवान श्री गणेश के साथ माता लक्ष्मी की काफी विधि-विधान से पूजा करते हैं. पूजा करने के पश्चात लोग अपने घरों में दीपक और मोमबत्ती से पूरे घर को रोशन करते हैं.

इस राज्य में नहीं मनाई जाती हैं दीवाली:

बता दें की भारत देश में एक राज्य ऐसा भी है जहां पर दीवाली का यह पावन पर्व मनाया ही नहीं जाता हैं. तो चलिए आपको भी बताते हैं कि किस राज्य में दीवाली का पर्व नहीं मनाया जाता हैं.

दीवाली का पर्व न मनाने के हैं तीन कारण:

  • भारत के जिस राज्य में दीवाली का यह पावन और धर्मिक पर्व नहीं मनाया जाता हैं वह कोई और नहीं बल्कि भारत के दक्षिण में स्थित केरल राज्य हैं. बता दे की इस राज्य में दीवाली न मनाने का यह कारण हैं कि दीवाली दिन ही राजा महाबली की मृत्यु हो गई थी. जिसे केरल के लोग अपना राजा और देवता मानते थे. शोक को प्रकट करने के लिए लोग दीवाली का पर्व नहीं मानते हैं.
  • इसी के साथ ही केरल राज्य में हिन्दुओं की संख्या काफी हैं. जिस वजह से लोग दीवाली नहीं मनाते हैं. लेकिन केरल राज्य में ओणम मनाया जाता हैं. इसमें केरल के लोग भगवान श्री कृष्ण की पूजा ज्यादा करते हैं. यह एक करण भी हैं दीवाली का पर्व न मनाने का.
  • इसी के साथ ही केरल में मौसम की समस्या भी काफी ज्यादा हैं. क्योंकि यह अक्टूबर और नवंबर माह में काफी ज्यादा वर्षा होती हैं. ऐसे में लोगो के लिए दीपक जलाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता हैं.

क्यों मानते है दीवाली का पर्व:

सभी भारतीयों तो इस बात का तो पता ही होगा की भगवान श्री राम अपना 14 वर्षों का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे. इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे. जिसके बाद से ही हम सभी भारतीय इस पावन पर्व को मनाने लगें. अब इस खास मौके पर पूरे अयोध्या को फूलों और लाइटों से सजाया जाता हैं. जिसके बाद अयोध्या का नजारा काफी अद्भुत और अनोखा दिखाई देता हैं.

इस पर्व पर अयोध्या में लाखों दीपक जलाए जाते हैं. बता दें की शास्त्रो के अनुसार- देवता और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के दौरान 14 रतन की उत्पत्ति हुई थी. जिसमें से एक रतन मां लक्ष्मी थीं. इसी के साथ लोगो का यह भी कहना है कि कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था. जिसके बाद ही इस दिन उनकी खास पूजा की जाती हैं.

लोगों में दिखा दीवाली का उत्साह:

दीवाली के इस पर्व पर हर वर्ग के लोगों के बीच काफी ज्यादा उत्साह का माहौल देखने को मिलता हैं. इस दिन सभी भारतीय लोग अपने घरों में रंग बिरंगीं लाइट लगाते हैं. एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं. छोटे-छोटे बच्चे पटाखे और फुलझड़ी जाते हैं. लेकिन देश में बड़े प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने पटाखों पर बैन लगा दिया हैं. इसी के साथ दी सरकार ने यह अपील भी की हैं कि सभी लोग अपने घरो में मिट्टी के दीपक जलाएं.