Health department alerted: उत्तर प्रदेश में फिर एक बार खतरनाक बीमारी ने दस्तक दे दी है. लखनऊ में एक 17 वर्षीय लड़के ‘कालाजार’ का शिकार हो गया. डॉक्टर्स के कहना है कि दुर्लभ बीमारी का पहला केस 20 साल बाद पहली बार सामने आया है. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और मरीज के घर से 500 मीटर की दूरी तक के घरों किटनाशक का छिड़काव किया गया.

लखनऊ स्वास्थ्य विभाग की टीम ने त्रिवेणीनगर में कालाजार की चपेट में आए किशोर के घर के आसपास रह रहे लोगों की जांच की. यहां रहने वाले करीब 300 लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है. लेकिन जांच में घर में सीलन और जमीन में दरारें मिलीं.

इसके साथ एक बालू मक्खी भी मिली. कालाजार मादा मक्खी के काटने से फैलता है. ऐसे में इस मक्खी को जांच के लिए भेजा गया है, ताकि यह पता चले कि यह नर है या मादा. इस बीच मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीज के घर और इसके आसपास दवाओं का छिड़काव किया.

कालाजार क्या है?

कालाजार एक गंभीर बीमारी है जो लीशमैनिया पैरासाइट के कारण होती है. यह बीमारी मुख्य रूप से मध्य पूर्व, अफ्रीका, भारत और दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है. कालाजार के लक्षण- बुखार, थकान, वजन कम होना, अनीमिया, त्वचा का पीलापन, लीवर और प्लीहा में सूजन, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, खांसी हैं.

कहां से फैली बीमारी :

संक्रमण के बारे में डॉ. चौधरी ने कहा कि, रोगी ने किसी भी जिले की यात्रा नहीं की है या उसके घर या पड़ोस में कोई बाहरी व्यक्ति भी नहीं आया. उसका प्रभावित इलाकों से कोई संबंध नहीं है. न ही रोगी के परिवार या पड़ोस में कोई जानवर या मवेशी है. यह एक छिटपुट मामला है. जिससे बड़ी संख्या में लोगों को कोई खतरा नहीं है.

डॉ. चौधरी ने कहा कि आम सैंडफ्लाई की वजह से यह बीमारी होती है. इसलिए, स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है. डॉ. चौधरी ने कहा कि, साल 2019 से यूपी में यह बीमारी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में खत्म हो चुकी है.