गोबर धन योजना: सरकार स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना चाहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने गोबर–धन योजना लागू की है। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर बायोगैस प्लांट लगाने पर 37,000 रुपये की सब्सिडी देती हैं। बायोगैस प्लांट से ग्रामीण क्षेत्रों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत, स्वच्छ वातावरण, स्वास्थ्य लाभ और रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं।
इस योजना की शुरुआत 1 नवम्बर 2018 को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय–पेयजल और स्वच्छता विभाग ने की थी। जिसका उद्देश्य मवेशियों के गोबर, कृषि अवशेषों और अन्य जैविक कचरे जैसे जैविक कचरे को बायोगैस, संपीड़ित बायोगैस या बायो–सीएनजी में बदलकर बायोगैस का उपयोग खाना पकाने और बिजली पैदा करना है।
ऐसे मिलेगा योजना का लाभ
योजना का लाभ पाने के लिए पशुपालक के पास दो पशुधन होना अनिवार्य है. बायोगैस प्लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार और अलग–अलग राज्यों में वहाँ की सरकार प्रति यूनिट 37,000 रुपये की सब्सिडी देती है। हर 2-घन मीटर क्षमता वाले बायोगैस प्लांट के लिए लाभार्थी को 5 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर 25,000 रुपये की सब्सिडी देती हैं।
इसके अलावा 12000 रुपये माँड़ेगा की ओर से गड्ढे खोदने और घोल–गोबर, जैविक अपशिष्ट इकट्ठा करने के लिए आते हैं। यानी 42 हज़ार रुपये में एक बायोगैस प्लांट लग जाता है।
किसी भी राज्य में इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है। हालाँकि जिस राज्य में सबसे ज़्यादा इस योजना का लाभ उठाया जा रहा है तो वह गुजरात है। गुजरात में कई किसान गोबर गैस के प्लांट को लगवा चुके हैं और इसका लाभ उठा रहे हैं। बायोगैस से ना सिर्फ़ खाना पकाने का काम किया जा रहा है। बल्कि बिजली भी पैदा की जा रही है।