दुनिया के अधिकांश देशों की करंसी पर उन देशों के महापुरूष या संस्थापकों की तस्वीरें छपी रहती हैं. अमेरिका से लेकर चीन, पाकिस्तान से लेकर भारत के नोटों में महापुरूषों की तस्वीरें छपी हुई हैं. भारत की करंसी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर है.

अक्सर लोग ये समझते हैं कि आजादी के बाद से ही गांधी की तस्वीर नोटों पर छपती आ रही होगी लेकिन ये बात पूरी तरह से गलत है. देश की आजादी के बाद छपे नोटों पर गांधी जी की तस्वीर नहीं हुआ करती थी.

भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक भारत सरकार ने पहली बार साल 1949 में एक रूपये के नोट का डिजाइन तैयार किया. उस समय तय हुआ था कि नोटों पर गांधी जी की जगह अशोक स्तंभ की तस्वीर को छापा जाए. उसके एक साल बाद साल 1950 में पहली बार 2, 5, 10 और 100 रूपये के नोट जारी किए गए. उन सभी नोटों में से किसी पर भी गांधी जी की तस्वीर नहीं छपी थी.

साल 1969 में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक ने गांधी जी 100वीं वर्षगांठ के मौके पर एक रूपये के नोट पर गांधी जी की तस्वीर छापी. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुए और उनके पीछे सेवाग्राम आश्रम था. पहली बार एक रूपये के नोट पर नजर आने वाले गांधी जी की तस्वीर सभी नोटों पर छपने में आजादी के बाद 49 साल लग गए.

साल 1996 में भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी नोटों की नई सिरीज पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी. नए नोट में महात्मा गांधी ती तस्वीर के अलावा तमाम सिक्योरिटी फीचर और बदला हुआ वाटरमार्क भी शामिल था. इन नोटों में ऐसे फीचर दिए गए जिसकी सहायता से अंधे लोग भी इसकी आसानी से पहचान कर सकें.

इसके बाद कई बार नोट पर तस्वीर बदलने की कोशिश की गई लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान वित मंत्री रहे अरूण जेटली ने लोकसभा में कहा था कि रिजर्व बैंक के पैनल नें तय किया है कि नोटों पर महात्मा गांधी के अलावा अन्य किसी नेता की तस्वीर नहीं लगाई जा सकती. क्योंकि इस देश को गांधी के अलावा कोई अन्य शख्सियत बेहतर तरीके से पेश नहीं कर सकती.