शंभू बॉर्डर: केंद्र की मोदी सरकार और देश के किसानों के बीच लंबे समय से गतिरोध चलता आ रहा है. बीते कई सालों में किसानों के कई आंदोलन देखने को मिले, हर बार सरकार की तरफ से किसानों को आश्वासन भी दिया गया लेकिन अब तक कोई ऐसी ठोस पहल नहीं हुई जिससे किसानों की समस्याओं का परमानेंट समाधान निकाला जा सके.

शंभू बॉर्डर पर डटे हैं किसान

हरियाणा पंजाब की सीमा के पास शंभू बॉर्डर पर लंबे समय किसान धरने पर बैठे थे, जब उनकी मांगे नहीं मानी गई तो उन्होंने 6 दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया था.

शंभू बॉर्डर

शुक्रवार को जब किसान दिल्ली की ओर आगे बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़े जिसकी वजह से कई किसान घायल हो गए. इसके बाद किसानों ने एक बार फिर रविवार 8 दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान कर दिया है.

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शंभू बॉर्डर से प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि आज मोर्चे को चलते हुए 299 दिन हो गए हैं, खन्नौरी बॉर्डर के डल्लेवाल के अनशन को 12 दिन हो गए हैं.

शुक्रवार को पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई में हमारे 16 किसान साथी घायल हुए हैं जिसमें से दो की हालत गंभीर है. 4 किसानों को छोड़कर बाकी सभी किसानों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

उन्होंने कहा कि अब तक सरकार की ओर से बातचीत का कोई भी न्यौता हमारे पास नहीं आया है. रविवार 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे 101 किसानों का जत्था शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ेगा. किसी भी किसान के पास कोई भी हथियार नहीं होगा. हरियाणा पुलिस हमारे ऊपर हथियार रखने का झूठा आरोप लगा रही है.

किसान नेता ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई से केंद्र की भाजपा सरकार का चेहरा सबके सामने आ गया है. निहत्थे किसानों को पैदल दिल्ली जाने से रोका जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सरकार ये मान रही है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधा पैसा दिया जा रहा है. हम एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं. सरकार हमसे बात ही नहीं करना चाहती.

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