महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की बंपर जीत के बाद भी अब तक नई सरकार का शपथग्रहण नहीं हो पाया है. गठबंधन के तीनों नेताओं के बीच विभागों के बंटवारे को लेकर सहमति ना बन पाने की वजह से वहां नई सरकार बनने में देरी हो रही है. बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे अभी भी नाराज चल रहे हैं और भाजपा उन्हें मनाने का हर संभव प्रयास कर रही है. दिल्ली में बैठक के बाद एकनाथ शिंदे के अचानक गांव चले जाने से अगली मीटिंग कैंसिल हो गई थी.
अब माना जा रहा है कि एक बार फिर बैठकों का सिलसिला शुरू होगा और जल्द ही नई सरकार का खाका सामने आ जाएगा. अमित शाह के साथ मीटिंग के बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा के आगे तीन शर्तें रखी हैं जिसमें से बीजेपी को एक शर्त माननी होगी. भाजपा की मुश्किल ये है कि उसके लिए किसी भी एक शर्त को मानना आसान नहीं है.
एकनाथ शिंदे सेना की पहली शर्त ये है कि एकनाथ शिंदे को ही महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाए क्योंकि राज्य की जनता ने इस उम्मीद के साथ मतदान किया है कि शिंदे ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे.
उन्होंने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री ना बनाया गया तो समाज के इन वर्गों में गलत संदेश जाएगा. उन्होंने कुछ सर्वेक्षण भी दिखाए जिसमें मुख्यमंत्री पद के लिए वो पहली पसंद थे.
शिंदे सेना की दूसरी शर्त है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो फिर उन्हें गृह, वित्त और राजस्व जैसे अहम विभाग दिए जाएं. उन्होंने कहा कि अगर ये विभाग दिए जाते हैं तो फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. इससे राज्य में सत्ता का संतुलन बना रहेगा. इसके बाद तय किया जाएगा कि उपमुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा.
एकनाथ शिंदे सेना की तीसरी शर्त है कि अगर इन दोनों शर्तों को नहीं माना जाता तो उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा नहीं होगी. वो बाहर से सरकार को समर्थन देगी. इसके अलावा पार्टी के सात सांसद भी मोदी सरकार को बाहर से समर्थन देंगे.
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