Diwali: दिवाली से पहले खाने के तेल का दाम आसमान छू रहे हैं पिछले एक महीने में पाम ऑयल की कीमत में 37% की वृद्धि देखने को मिली है. इस वृद्धि के बाद आम आदमी के रसोई का बजट बिगड़ सकता है. त्योहारी सीजन में होटल रेस्टोरेंट और मिठाई की दुकानों में इस तेल का उपयोग होता है.
ऐसे में अब मिठाइयों के दामों में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है. इसके साथ ही घरों में स्तेमाल होने वाले सरसों तेल के दामों में भी 29% की बढ़ोतरी देखने को मिली है. तेल की कीमतों में यह वृद्धि तब देखने को मिली है जब खुरदरा महंगाई सितंबर में पिछले नव महीने उच्च स्तर 5.5% थीं. टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट से इन आंकड़ों का पता चलता है.
सब्जियों और खाने-पीने की चीजों की ऊंची कीमतों के कारण महंगाई बढ़ी है. इस वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से फिलहाल ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है. सरकार ने पिछले महीने कच्चे सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी के तेल पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था. इससे कीमतों में तेजी आई है.
आयात शुल्क में बढ़ोतरी का असर
14 सितंबर से कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% और रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.7% से बढ़ाकर 35.7% कर दिया गया. ये तेल भारत के खाद्य तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा हैं. अधिकारियों ने बताया है कि पिछले एक महीने में कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की वैश्विक कीमतों में लगभग 10.6%, 16.8% और 12.3% की बढ़ोतरी हुई है.
भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का लगभग 58% आयात करता है. वनस्पति तेलों का वह दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और सबसे बड़ा आयातक है. अगले कुछ महीनों तक उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ सकता है. कारण है कि आयात शुल्क कम होने की संभावना कम है.
किसानों के फायदे के लिए उठाया गया कदम
सरकार ने पहले कहा था कि ये एडजस्टमेंट घरेलू तिलहन किसानों, खासकर अक्टूबर 2024 से बाजारों में आने वाली नई सोयाबीन और मूंगफली की फसलों के साथ सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं. उद्योग के सूत्रों का मानना है कि किसानों को तिलहनों का अच्छा दाम मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा आयात शुल्क व्यवस्था को बनाए रखना जरूरी है.