धनतेरस के दिन आज बाजारों में खूब रौनक देखने को मिल रही है, लोग खूब बढ़-चढ़कर शॉपिंग कर रहे हैं. धनतेरस को खरीदारी के लिहाज से सबसे शुभ दिन माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला था. देवताओं के वैद्य धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. सेहत और आरोग्य के लिए इस दिन धनवंतरी की उपासना होती है. ये दिन कुबेर का दिन भी माना जाता है. धन और संपन्नता के लिए इस दिन कुबेर की भी पूजा होती है.

समुद्र मंथन से धनवंतरी का उद्ववः

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12 वां अवतार अनवंतरी का था. पुराणों में भगवान धनवंतरी के प्राकट्य की कई कथाएं मिलती है. ऐसा प्रचलित है कि जब समुद्र मंथन हो रहा था, तब सागर की गहराईयों से चौदह रत्न निकले थे. जब देवता और दानव मंदार पर्वत को मथनी बनाकर वासुकी नाग की मदद से समुद्र मंथन कर रहे थे, तब तेरह रत्नों के बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चौदहवें रत्न के रुप में धनवंतरी जी सामने आए.

धनवंतरी अमृत यानी जीवन का वरदान लेकर प्रकट हुए थे और ये आयुर्वेद के जानकार भी थे. इसलिए उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है. भगवान धनवंतरि को चतुभुजी कहा जाता है. भगवान विष्णु की ही तरह इनके हाथ में भी शंख और चक्र रहता है.

दूसरे हाथ से इन्होंने अमृत कलश भी थामा है. धनवंतरी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रकट हुए थे. इसलिए इस तिथि को बर्तन खरीदने की परंपरा से जोड़ा जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन आप जितनी खरीदारी करते हैं, उसमें कई गुना की वृद्धि हो जाती है.

इसलिए कुबेर महाराज की पूजा की जाती हैः

धनतेरस के दिन कुबेर महाराज की पूजा का विधान है. कुबेर महाराज को देवताओं को कोषाध्यक्ष कहा जाता है. इनके कोषाध्यक्ष बनने की कहानी बहुत ही रोचक है, पौराणिक कथाओं के अनुसार कुबेर भगवान ब्रह्मा के पौत्र और ऋषि विश्रवा के पुत्र थे. कुबेर का जन्म एक ऋषि परिवार में हुआ था, लेकिन उनके जीवन में विशेषताओं ने उन्हें सामान्य से अलग बना दिया.

कुबेर ने कठिन तपस्या और साधना से भगवान ब्रह्म से असीम धन और यक्षों के राजा होने का वरदान प्राप्त किया था. ब्रह्मा ने उन्हें धन, वैभव और समृद्धि का देवता भी घोषित किया. भगवान ब्रह्म ने कुबेर को विशेष आशीर्वाद दिया कि वे समस्त संसार के धन को कोषाध्यक्ष कहलाएंगे. कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी बताया जाता है. स्कंद पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने गुणनिधि को कुबेर की उपाधि दी थी. कहते हैं कि धनतेरस के दिन कुबेर महाराज की पूजा अर्चना करने से धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं.