CJI : भारतीय न्याय व्यवस्था में धंनजय यशवंत चंद्रचूड़ एक ऐसा नाम है जिन्हें हमेशा उनके अहम निर्णयों के लिए याद किया जाएगा. डी वाई चंद्रचूड़ देश के 50वें चीफ जस्टिस रहे. जो 10 नवंबर को इस पद से रिटायर हो रहे हैं.

डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कुल आठ साल से अधिक समय तक जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने काम किया है. इस दौरान आखिरी के साल वह चीफ जस्टिस रहे. 9 नवंबर 2022 को वह भारत के चीफ जस्टिस बने थे.

आज भले वह सीजेआई के पद से रिटायर हो रहे हैं लेकिन उनके द्वारा सुनाए गए बड़े फैसलों की वजह से वह हमेशा याद किए जाते रहेंगे. हम आपको सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के उन बड़े फैसलों से रूबरू कराते हैं.

राम मंदिर को लेकर सुनाया था फैसला :

बतौर जज अगर डीवाई चंद्रचूड़ के बड़े फैसलों की बात करें तो इस सूची में सबसे पहले नंबर पर आता है राम मंदिर पर सुनाया गया फैसला.जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच का हिस्सा थे जिसने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इस बेंच की अगुवाई उस समय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे.

धारा 377 पर सुनाया बड़ा फैसला :

सप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आईपीसी की धारा 377 पर एतेहिसाक फैसला सुनाते हुए कहा था कि सहमति से दो वयस्कों के बीच बने समलैंगिक यौन संबंध को हम इसे अपराध की श्रेणी से बाहर मानते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सुनाए गए इस फैसले में आगे कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 के एक हिस्से को, जो सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताता है, तर्कहीन, बचाव नहीं करने वाला और मनमाना करार दिया.संविधान पीठ ने कहा था कि धारा 377 को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया क्योंकि इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है.

चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर कोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला :

चंडीगढ़ मेयर चुनाव की धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था. सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली को लेकर अपनी नाराजगी भी जताई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इसे लोकतंत्र का हत्या बताया था. इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के सामने बैलेट पेपर और वीडियोग्राफी समेत सभी रिकॉर्ड संरक्षित करने का आदेश दिया था.

न्याय की देवी की आंखों की पट्टी हटी :

CJI डीवाई चंद्रचूड़ के पहल पर यह कदम उठाया गया. सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में दशकों से न्याय की देवी का स्टैच्यू था जिनके बाएं हाथ में तलवार था और आंखों पर पट्टी थी, लेकिन अब नया स्टैच्यू लगाया गया है, जिसमें न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी नहीं है और दाएं हाथ में तराजू है और बाएं हाथ में संविधान है.

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एमएल लाहौटी बताते हैं कि इस नए बदलाव के पीछे यह संदेश दिया जा रहा है कि कानून समान तौर पर सबकुछ देख सकता है और हाथ में तलवार की जगह संविधान रखे जाने के पीछे यह मकसद है कि देश में न्याय संविधान के मुताबिक होता है.

बिलकिस बानो के मामले पर सुनाया था बड़ा फैसला :

भारत के सीजेआई के तौर पर नवंबर 2022 में पद संभालने के बाद डीवाई चंद्रचूड़ ने पहला सबसे बड़ा फैसला बिलकिस बानो मामले में सुनाया था. उस दौरान उन्होंने सामूहिक बलात्कार और हत्या को लेकर उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी. इसके बाद कई महीनों की सुनवाई के बाद 2024 की शुरुआत में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों की रिहाई के फैसले पर रोक लगा दी थी.