छठ महापर्व आस्था का महापर्व है. छठ व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान और सुहाग की दीर्घ आयु के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है. ये पर्व प्रमुख रुप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता हैं.
इस पर्व का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं अपने व्रत का परायण करती हैं. कार्तिक माह में आने वाले इस महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय-खाय से होगी. वहीं इसका समापन 8 नवंबर-उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा.
छठ पूजा में इस कारण से डूबते हुए सूरज को दिया जाता है अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है. इस दिन शाम के समय किसी तालाब या नदी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
इसके पीछे मान्यता है कि डूबते समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ में होते हैं, और इस समय इनको अर्घ्य देने से जीवन में चल रही हर प्रकार की समस्या दूर होती है और मनोकामना पूर्ति होती है. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है.
डूबते सूरज को अर्घ्य देने का मुख्य कारण यह भी है कि सूरज का ढलना जीवन के उस चरण को दर्शाता है जहां व्यक्ति की मेहनत और तपस्या का फल प्राप्ति का समय होता है. मान्यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा मिलती है.
साथ ही, डूबते सूर्य को अर्घ्य देना यह भी दर्शाता है कि जीवन में हर उत्थान के बाद पतन होता है, और प्रत्येक पतन के बाद फिर से एक नया सवेरा होता है.
छठ पर्व के 4 दिन
- छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
- छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
- छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
- छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण.