यूपी के उन्नाव में गंगा नदी पर स्थित अंग्रेजों के जमाने में बने पुल को हटाने का निर्णय ले लिया गया है. इसके लिए अनुमानित 30 करोड़ रुपये का भारी-भरकम खर्च आएगा. ये खर्च पुल की सही समय पर मरम्मत ना कराने की वजह से उठाना पड़ रहा है. इस पुल को साल 1874 में अवध एंड रुहेलखंड़ लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया गया था. जो कानपुर से उन्नाव जाने वालों के लिए अहम विकल्प के रुप में मौजूद था. ये यातायात के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रुप में मौजूद था.
रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और एसिस्टेंट इंजीनियर ई वेडगार्ड के डिजाइन से बना ये पुल 800 मीटर लंबा था और 100 साल की मियाद के साथ तैयार किया गया था. साल 2021 में इसमें दरारें आने लगीं, जिससे इसे यातायात के लिए बंद करना पड़ा था. विशेषज्ञों ने उसी समय पुल की मरम्मत का प्रस्ताव रखा था, जिसकी लागत महज 1 करोड़ 90 लाख थी.
मरम्मत के प्रस्ताव को किया गया नजरअंदाजः
साल 2021 में दिल्ली स्थित सीआरआरआई के विशेषज्ञों ने पुल का निरीक्षण कर मरम्मत के सुझाव किए थे. लेकिन, लोक निर्माण विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया. इसके कुछ ही महीने बाद, नवंबर 2021 में पुल को एक स्पैन गंगा नदी में गिर गया. इसके बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुल को दोबारा उपयोग में लाने की संभावना समाप्त हो गई.
अंग्रेजों के जमाने में निर्माण पर आया था 17 लाख का खर्चः
गौरतलब है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों ने 1874 में इस पुल को 7 साल 4 महीने में 17 लाख खर्च करके बनाया था. मैस्कर घाट पर प्लांट लगाया गया था. अंग्रेजों ने यातायात के लिए इस पुल का निर्माण कराया था, फिर 1910 में इसी पुल के करीब ही ट्रेनों के संचालन के लिए एक रेलवे ब्रिज बनवाया था.
कानपुर-शुक्लागंज पुल को तोड़ने में आएगा 30 करोड़ का खर्चः
रोजाना 22 हजार चौपहिया-दोपहिया समेत 1.25 लाख लोग इस पुल से गुजरते थे. 12 मीटर चौड़ाई और 1.38 किलोमीटर के पुल पर लोगों का आवागमन होता था. अब पुल को पूरी तरह से हटाने के लिए 25 से 30 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च की बात कही गई है.