Per capital income: देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं और भारत को यह आजादी लगभग 200 वर्ष की गुलामी के बाद मिली थी. ब्रिटेन ने इन 200 सालों में भारत को बहुत लूटा और भारत की अरबों की संपत्ति लेकर चले गए. लेकिन क्या आपने कभी यह अंदाजा लगाया है गुलामी के 200 वर्षों में कितनी संपत्ति को लूट लिया गया.
भारत एक समय दुनिया की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था हुआ करता था. इतिहास गवाह है कि भारत में अकूत संसाधन, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और मजबूत व्यापारिक संबंध थे, लेकिन जब ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत पर शासन किया, तो उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया.
अंग्रेजों की लूट और शोषण ने भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरी छाप छोड़ी, जिसका प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है. अगर अंग्रेज भारत को नहीं लूटते, तो आज भारत की प्रति व्यक्ति आय और समृद्धि का स्तर बहुत अलग होता. भारत में प्रति व्यक्ति आय पर भी इसका खासा असर पड़ा है.
अग्रेंज भारत को नहीं लूटते तो क्या होता?
अगर भारत अंग्रेजों का गुलाम नहीं हुआ होता तो भारत की अर्थव्यवस्था का विकास एक अलग दिशा में होती. कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर भारत को अपने प्रकृतिक संसाधनों और मानव पूंजी का पूरा लाभ मिलता, तो आज भारत की प्रति व्यक्ति आय कई गुना अधिक होती.
इतिहासकारों का मानना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय में भारी गिरावट आई और जो समृद्धि भारत के पास थी, वह औपनिवेशिक नीतियों के कारण छीन ली गई.
आंकड़ों के अनुसार, अगर ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को लूटने और शोषण करने की बजाय भारतीय संसाधनों का सही उपयोग किया होता, तो आज भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 5,000 डॉलर यानी 4,22,330.50 रुपये हर साल होती. मौजूदा समय में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,300 डॉलर यानी लगभग 1,94,272.03 रुपये है.
ब्रिटिश शोषण का भारत पर क्या पड़ा प्रभाव?
ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन के लाभ के लिए काम करना था. अंग्रेजों ने भारत के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया, कृषि उत्पादों और कच्चे माल को ब्रिटेन भेजा और भारत में फैक्ट्रियां और उद्योग स्थापित करने की बजाय भारत को एक कच्चा माल आपूर्तिकर्ता बना दिया.
इसके परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में रुकावट आई. भारत की प्रति व्यक्ति आय उस समय बहुत कम थी और औपनिवेशिक नीति के कारण भारतीयों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में गिरावट आई.