Blood pressure: ब्लड-प्रेशर की समस्या आज के समय में आम बात हो चुकी हैं. कोई हाई ब्लड-प्रेशर से की दिक्कत से परेशान हैं तो किसी को लो बीपी की समस्या करना पड़ रहा हैं. ब्लड-प्रेशर चाहे हाई हो या फिर लो दोनों ही स्थिति में हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं होता हैं.

हाई बीपी एक ऐसा धीमा जहर है जो अंदर ही अंदर इंसान को खोखला कर देता है. अमेरिका में आधे से ज्यादा वयस्क हाइपरटेंशन की समस्या से ग्रसित हैं तो भारत में यह संख्या 20 करोड़ से ज्यादा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की एक रिपोर्ट के मुताबिक खास तौर से 25 से 54 साल के 35.6 प्रतिशत लोग इस समस्या से पीड़ित हैं.

हैरानी की बात तो ये है कि इतनी गंभीर समस्या होने के बाद भी लोग हाईबीपी के बारे में नहीं जानते. दरअसल हमारे शरीर में सबसे ज्यादा फंक्शन ब्लड प्रेशर ही करता है, इसका ठीक रहना इस बात को इंडीकेट करता है कि हमारा शरीर स्वस्थ है. यह सामान्य तब माना जाता है जब हमारी सिस्टोलिक प्रेशर 120mm Hg से कम हो और डायस्टोलिक प्रेशर 80mm Hg से कम हो.

कैसे काम करता है Blood pressure:

हमारे दिल से निकल कर जो ब्लड नसों के वॉल पर लगता है वो ब्लड-प्रेशर कहलाता है. हमारे शरीर में इसे रेगुलेट करने लिए दो सिस्टम हैं. एक शॉर्ट टर्म और दूसरा लांग टर्म, शॉर्ट टर्म में बैरो रिसेप्टर और कीमो रिसेप्टर, बैरो रिसेप्टर का काम हमारे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना है और कीमो रिसेप्टर का काम उसके केमिकल कंपोजिशन को ठीक करना है. लांग टर्म में रेनिन एंजियोटेन्सिन एल्डोस्टेरोन सिस्टम यानी RAAS काम करता है. ये सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.

कैसे काम करते हैं बैरो रिसेप्टर और कीमो रिसेप्टर?

बैरो रिसेप्टर:

यह हमारी धमनियों की वॉल पर होते हैं. जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो ये हमारे दिमाग के मेडुला ऑब्लॉन्गेटा में संकेत भेजते हैं, ताकि दिमाग दिल की धड़कन को धीमा कर धमनियों को चौड़ा करे, जब ब्लड प्रेशर कम होता है तब ये इससे ठीक उलट संकेत भेजते हैं.

कीमोरेसेप्टर:

यह हमारे ब्लड में होने वाले केमिकल कंपोजिशन का ख्याल रखता है, मसलन ऑक्सीजन का स्तर क्या है, कार्बन डाइ ऑक्साइड कितनी है. इसमें कमी पर ये भी दिमाग के मेडुला ऑब्लॉन्गेटा में संकेत भेजता है. ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर यह सांस तेज करने का संकेत भेजता है.