Adhbhut Gaushala: सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. गाय पालन को परमार्थ का कार्य समझा जाता है. यूं तो देश में बहुत से साधु गौ सेवा करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के ग्वालियर के साधु बाबा की बात ही अनोखी है. 80 साल की उम्र में वो 250 गायों की सेवा करते हैं. सुबह तड़के 3 बजे से ही उनकी दिनचर्या शुरु हो जाती है. सबसे बड़ी बात ये है कि बाबा किसी भी गाय का दूध नहीं निकालते हैं.
Adhbhut Gaushala
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जनक ताल के पास बद्रीनाथ धाम आश्रम है. यहां शहर का सबसे पुराना बद्रीनाथ मंदिर भी है, जिसकी स्थापना लगभग 200 से 300 साल पहले की मानी जाती है. ये स्थान अपने आप में अलौलिक है. इस जगह पर अनेक साधु-संन्यासी रहा करते हैं. इसके अलावा इस स्थान पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं. यहां पर पास में एक गुफा भी है, जहां पर प्राचीन काल की मूर्तियां रखी हुई है.
बाबा नहीं निकालते हैं गाय का दूधः
आश्रम में संन्यासी कमल दास ने बताया कि उनके पास रहने वाली 250 गायों में किसी भी गाय का दूध नहीं निकालते हैं. यहां पर सभी गाय अपने बच्चों को ही दूध पिलाती हैं. इसके अलावा सुबह 3 बजे से उठकर मध्यरात्रि तक उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं. एक टीवी चैनल से बात करते हुए साधु बाबा ने बताया कि सेवा परमो धर्मः सेवा ही संसार में सबसे बड़ा धर्म है. गौ सेवा करने से उच्च कोटि की सेवा प्राप्त होती है. बाबा कमल दास 50 साल से Adhbhut Gaushala में गो-सेवा कर रहे हैं. बिना किसी सरकारी सहयोग से वो लाचार और बीमार गायों की सेवा करने का काम करते हैं.
गौ सेवा बनीं लंबी उम्र का राजः
बाबा कमल दास की उम्र लगभग 80 साल है. बकौल साधु वो 50 सालों से यहां पर गौ सेवा कर रहे हैं. कहा कि ऐसा देखने में आता है कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो लोग उसको छोड़ देते हैं. ऐसी ही निर्बल गायों का वो पालन करते हैं. सामाजिक सहयोग से गौशाला का उन्होंने निर्माण किया, यहां पर सभी प्रकार की बीमार गायों को रखा जाता है. उनकी सेवा की जाती है. इसके अलावा इन गायों के दूध की बिक्री यहां पर नहीं की जाती है. यहां पर किसी भी गाय का दूध नहीं निकाला जाता है. बाबा कमल दास के गुरु भी गौ सेवा को ईश्वर सेवा मानते थे, तबसे लेकर अभी तक यहां पर गौ सेवा चल रही है.
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