भारत की एकमात्र ऐसी नदी जो रेगिस्तान में बहती है, वह लूणी नदी है। यह नदी राजस्थान के थार रेगिस्तान में बहती है और अपनी अधिकांश यात्रा के दौरान नमकीन पानी लेकर चलती है। लूणी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर जिले में नाग पहाड़ (अरावली पर्वत श्रृंखला) से होता है। यह पश्चिम की ओर बहते हुए गुजरात के कच्छ के रन में समाप्त हो जाती है।
लूणी नदी का पानी मुख्य रूप से सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसके खारे पानी की वजह से यह पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसके बावजूद यह नदी थार रेगिस्तान के क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है, क्योंकि यह वहां के कृषि और अन्य जल जरूरतों को पूरा करती है।
यह पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है, जिसकी लंबाई लगभग 495 किमी है। इसका उद्गम अरावली पर्वत श्रृंखला के अजमेर जिले में नाग पहाड़ से होता है। प्रारंभिक हिस्से में यह मीठा पानी बहाती है, लेकिन आगे बढ़ते हुए, खासकर बालोतरा क्षेत्र में, यह पानी खारा हो जाता है। यह परिवर्तन भूमि में मौजूद नमक की अधिकता के कारण होता है।
लूणी नदी रेगिस्तानी इलाके से गुजरते हुए अंततः कच्छ के रण में विलीन हो जाती है, लेकिन यह किसी समुद्र में नहीं मिलती। इसे “रेगिस्तान की जीवनरेखा” भी कहा जाता है, क्योंकि यह सिंचाई और पेयजल का मुख्य स्रोत है। इसके किनारे कई बांध बनाए गए हैं, जैसे जसवंत सागर और सरदार समंद बांध, जो सिंचाई में सहायक हैं।
यह नदी अपने अनिश्चित जल प्रवाह और बाढ़ की संभावना के लिए भी जानी जाती है। अधिक वर्षा के दौरान, लूणी बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर सकती है, जो रेगिस्तानी क्षेत्रों के लिए दुर्लभ लेकिन विनाशकारी होती है