unusual village: आज के इस दौर में बिना बिजली के बिना घर की कल्पना नहीं कर सकते हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी को बिजली की जरुरत होती है. रोजमर्रा की जिंदगी को सुचारु रुप से चलाने के लिए सभी को बिजली की जरुरत होती है. आज की दुनिया की कल्पना ही बिना बिजली के नहीं की जा सकती है. ऐसे समय में भी एक गांव ऐसा है, जहां बिजली, गैस, लाइट, पंखे मोटर आदि का उपयोग नहीं किया जाता है.
unusual village: 21वीं सदी और नहीं है बिजली
कुर्मा गांव श्रीकाकुलम शहर से 60 किमी की दूरी पर स्थित है. यहां रहने वाले लोग प्राचीन तरीकों का इस्तेमाल कर जीवनयापन(unusual village) कर रहे हैं. यहां पर लोगों को किसी भी मॉर्डन सुविधा की जरुरत नहीं है बल्कि वो प्राचीन तरीकों से ही अपना जीवनयापन कर रहे हैं. कुर्मा गांव के सभी घर पेंकटिल्लु हैं, यानि चूने और मिट्टी से बने हुए हैं. घर की दहलीज से प्रवेश करते ही एक हॉल होता है.
हॉल के बगल में एक नैय्या है, जिसे तकनीक का उपयोग घरेलू जल आपूर्ति के लिए किया जाता है. हॉल के दाहिनी ओर एक पूजा कक्ष होता है और उसके बगल में ही रसोईघर है, रसोई में लकड़ी के चूल्हें हैं, जिन पर सभी के लिए खाना पकाया जाता है. हॉल से सटे बायीं ओर दो शयनकक्ष है. इन शयनकक्षों से मिट्टी से बनी छोटी-छोटी अलमारियां होती हैं, जिसमें कपड़ें और दूसरी जरुरत की चीजें रखी जाती हैं.
लकड़ी के चूल्हे पर बनता है खानाः
घर के अंदर की सारी फर्श मिट्टी में गाय के गोबर को मिलाकर लीपने का काम किया जाता है. पुराने जमाने में ऐसा ही होता था जिससे इस तरह घर में बैक्टीरिया नहीं रहते हैं. हर हफ्ते घर में गाय का गोबर और मिट्टी मिलाकर दीवार लीपी जाती हैं. इसके अलावा घर में शौचालय के लिए एक कमरा और नहाने के लिए भी एक कमरा मौजूद है. उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले शौचालयों को जैव-शौचालय कहा जाता है. राख छिड़ककर वेस्ट को निर्धारित किया जाता है और इसका खाद के रुप में इस्तेमाल किया जाता है.
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