महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 10 दिन बाद भी वहां पर नई सरकार का शपथ ग्रहण नहीं हो पाया है. महाराष्ट्र BJP प्रदेश अध्यक्ष ने एलान तो कर दिया है कि 5 दिसंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण होगा और पीएम मोदी खुद इसमें मौजूद रहेंगे लेकिन वहां पर अभी भी महायुति गठबंधन में आपसी सहमति नहीं बन पाई है.
महाराष्ट्र CM पर असमंजस
अभी तक सीएम पद के चेहरे का आधिकारिक एलान ना होने से माना जा रहा है कि भाजपा अपने दोनों सहयोगी दलों को पूरी तरह से मना नहीं पाई है. एक तरफ भाजपा के लोग एकनाथ शिंदे को मनाने में लगे हुए थे तो दूसरी तरफ अब एनसीपी की ओर से ऐसी मांग रख दी गई जिससे भाजपा की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं.
एनसीपी नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि हमें भी शिवसेना के बराबर हिस्सेदारी चाहिए, इतना ही नहीं एनसीपी ने कुछ ऐसे मंत्रालयों की डिमांड भी रख दी है जिसे शिंदे गुट पाना चाह रहा है.
कई मीटिंग के बाद भी नहीं निकला महाराष्ट्र CM पद का हल
अब भाजपा के सामने मुसीबत ये है कि वो दोनों दलों के बीच किस तरह से सामंजस्य बिठाती है. कई दौर की मीटिंगों के बाद भी अब तक वहां पर नई सरकार को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है.
एनसीपी नेता छगन भुजबल ने चुनाव में अेहतर स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए कहा कि हम नई सरकार में शिंदे की पार्टी के बराबर हिस्सेदारी से कम पर नहीं मानेंगे. भुजबल ने कहा कि एनसीपी को भी शिवसेना के बराबर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर महायुति गठबंधन का स्ट्राइक रेट देखें तो पहले नंबर पर बीजेपी और दूसरे नंबर पर एनसीपी है, शिवसेना का नंबर तीसरा है. इसलिए हमारी मांग है कि हमें भी शिंदे के बराबर जगह दी जाए.
बता दें कि अजित पवार सोमवार शाम से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. शपथग्रहण से पहले उनका दिल्ली जाना बड़े सवालों को जन्म दे रहा है.
शिंदे और एनसीपी के बीच चल रही इस खींचातानी से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि बीजेपी दोनों सहयोगियों को कैसे संतुष्ट कर पाती है.
ये भी पढ़ें: Maharashtra CM: 5 दिसंबर को शपथ ग्रहण, बीजेपी ने तारीख तय कर क्या शिवसेना का दिल तोड़ दिया?