अमेरिकी करेंसी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही है. डॉलर की तुलना में 84.30 रूपए प्रति डॉलर तक गिरावट दर्ज की गई है. जो इसका इतिहासिक निचला स्तर है. फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (FPI) की भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली और फंड आउटफ्लो के बाद एक और कारण है जिससे भारतीय रुपये के रसातल में जाने का सिलसिला जारी रहने की आशंका है.

Rupee All-time Low

दरअसल अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद आने वाले महीनों में अमेरिकी करेंसी डॉलर के और चढ़ने का अनुमान है. ऐसा हुआ तो भारतीय रुपये के लिए नीचे जाने का डर लगातार बना रहेगा और ये अधिक निचले लेवल तक गिर सकता है.

डॉलर इंडेक्स में ताजा गिरावट :

आज डॉलर इंडेक्स में हालांकि गिरावट देखी जा रही है जिसके चलते ये 0.1 फीसदी गिरकर 104.9 के लेवल पर आ गया है. डॉलर इंडेक्स वो इंडेक्स है जो दुनिया की 6 करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दिखाता है. ये इंडेक्स बुधवार को 105.12 पर आ गया था जो इसका चार महीने का उच्च स्तर है.

रुपये के कमजोर होने का आपकी जेब पर क्या असर होगा?

रुपए के कमजोर(Rupee All-time Low) होने के साथ भारत के लिए नई परेशानियों के दरवाजे खुलने का डर रहता है. डॉलर के मजबूत होने का मतलब है कि सीधा-सीधा भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. उदाहरण के लिए जिस सामान को खरीदने पर अक्टूबर में 1 डॉलर के लिए 83 रुपये देने होते थे वहीं अब ये रकम 84.30 रुपये की हो जाएगी. भारत विदेशों से सबसे ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और इसको खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे क्योंकि डॉलर महंगा हो गया है.

कच्चे तेल के महंगा होने से देश में काफी वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे

क्रूड ऑयल के महंगा होने से भारत को इसके इंपोर्ट पर ज्यादा खर्च करना होगा जिसके परिणामस्वरूप देश में कई सामानों के दाम महंगे होंगे. इकोनॉमी पर डॉलर के महंगा होने का असर आएगा क्योंकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जो 700 बिलियन डॉलर के करीब जा चुका है, उसमें कमी देखी जा सकती है.क्रूड के महंगा होने का असर पेट्रोल-डीजल के रेट पर भी आ सकता है, क्योंकि ये ट्रांसपोर्ट फ्यूल के लिए कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होता है.

ये भी देखें: महाराष्ट्र में नए सीएम के नाम का एलान करने से क्यों कतरा रही बीजेपी? आखिर कहां फंसा है पेंच?