मणिपुर में जारी हिंसा के बीच रविवार को वहां बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला. भाजपा की सहयोगी पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी ने बीरेन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का एलान कर दिया.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखकर उन्होंने इस बात की जानकारी दी और सीएम बीरेन सिंह पर कई गंभीर आरोप लगा दिए. अब सवाल ये है कि एनपीपी के समर्थन वापसी के बाद क्या राज्य में भाजपा की सरकार गिर जाएगी तो इसका जवाब है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा.
राज्य में भाजपा की सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है और विधानसभा में उसका खुद के दम पर बहुमत है. दरअस्ल 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है और भाजपा के पास खुद के ही 32 विधायक हैं.
इसके अलावा वहां कांग्रेस के 5, जेडीयू के 6, नागा पीपुल्स फ्रंट के 5 और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी के पास 7 सीटें थी. इसके अलावा कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती थी.
एनपीपी के 7 विधायकों के समर्थन वापसी के एलान के बाद एन बीरेन सिंह की सरकार पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद जेडीयू के 6 में से 5 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे.
इससे विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 37 हो गई थी. नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर की मौजूद स्थिती के लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा कि वो राज्य की मौजूद स्थिती और कानून व्यवस्था पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करना चाहते हैं.
पिछले कुछ दिनों में हमने राज्य की स्थिती को और खराब होते देखा है, इसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई और राज्य में लोग बड़ी पीड़ा से गुजर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमने दृढ़ता से महसूस किया है कि सीएम बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार राज्य में पैदा हुए संकट का समाधान करने और स्थिती को सामान्य करने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है.
राज्य की मौजूदा स्थिती को ध्यान में रखते हुए एनपीपी ने फैसला किया है कि वो मणिपुर में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं.