टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा दिखने में जितने साधारण थे वो उतने ही असाधारण बिजनेसमैन थे. रतन टाटा ने अपने ग्रुप को बढ़ाने में दिन रात लगे रहते थे, यही वजह है कि टाटा का दबदबा देश से लेकर विदेशों में है.
काम की प्रति उनकी दीवनगी का सबसे बड़ा सबूत ये था कि उन्होंने शादी ही नहीं की हालांकि ऐसा नहीं है कि वो शुरू से शादी नहीं करना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने शादी नहीं की, उसकी एक अलग ही कहानी है.
आज हम बात कर रहे हैं ऐसी सात कंपनियों के बारे में जो बदहाली की कगार पर पहुंच गई थी लेकिन रतन टाटा ने उन्हें खरीदकर आज एक बड़ा ब्रांड बना दिया.
बिग बॉस्केट : टाटा ग्रुप ने साल 2021 में बिग बॉस्केट कंपनी को खरीदा था. आज वो भारत की सबसे बड़ी ग्रॉसरी कंपनियों में से एक है. टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा डिजिटल ने ये डील 2 अरब डॉर के वैल्युएशन पर की थी. उस दौरान बिग बॉस्केट की सेल तो बढ़िया थी लेकिन मुनाफा उतना नहीं था. आज वो एक उभरती हुई कंपनी बन गई है.
एयर इंडिया : एयर इंडिया की शुरूआत टाटा ग्रुप ने ही थी लेकिन बाद में भारत सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया और ये एक सरकारी कंपनी बन गई. लगातार घाटे में चल रही एयर इंडियो को जब सरकार ने बेचने का फैसला किया तो फिर 90 साल बाद इसे टाटा ने ही साल 2021 में खरीद लिया. अब इसका स्वामित्व टाटा ग्रुप के पास है.
टेटली टी कंपनी : रतन टाटा सिर्फ एक या दो बिजनेस तक सीमित नहीं रहे वो अनेकों क्षेत्र में काम करते थे. चाय के बिजनेस में अपना सिक्का जमाने के लिए उन्होंने साल 2000 में टेटली टी कंपनी को 431.3 मिलियन डॉलर में खरीद लिया. अब ये चाय टाटा कंपनी का एक लग्जरी ब्रांड बन गई है.
वन एमजी कंपनी : पहले ये कंपनी सिर्फ ऑनलाइन दवाएं उपलब्ध कराती थी लेकिन टाटा ग्रुप के खरीदने के बाद अब ये कंपनी दवाओं के साथ डॉक्टरों की सलाह और मेडिकल सेक्टर से जुड़ी तमाम सुविधाएं प्रोवाइड करने लगी है. अब ये कंपनी तेजी से ऑनलाइन मार्केट को कैप्चर करती जा रही है.
कोरस स्टील : ये यूरोप की दूसरी ओर दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी थी जिसे टाटा ग्रुप ने साल 2012 में 11.3 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की थी, जिसपर कंपनी मालिक ने अपनी सहमति दे दी. टाटा ब्रांड की ये कंपनी आज यूरोप ही नहीं बल्कि दुनियाभर में स्टील सप्लाई की एक दिग्गज कंपनी मानी जाती है.
देवू कॉमर्शियल व्हीकल : कॉमर्शियल व्हीकल बनाने वाली इस कोरियन कंपनी को रतन टाटा ने साल 2004 में 102 मिलियन डॉलर में खरीदकर उस समय भारत की सबसे बड़ी डील की थी. उस समय ये कंपनी घाटे में चल रही थी जिसे टाटा ग्रुप ने खरीदकर मुनाफे में पहुंचा दिया. आज ये एक बड़ा ब्रांड है.
लैंड रोवर और जगुआर : साल 1999 में जब टाटा मोटर्स ने अपनी इंडिका कार को बाजार में उतारा तो वो खास कमाल नहीं कर पाई, उस समय भारतीय कार बाजार में विदेशी कंपनियां छाई हुई थी. इसके बाद रतन टाटा ने टाटा मोटर्स को बेचने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने बिल फोर्ड से संपर्क किया.
उस समय बिल फोर्ड के अहंकार के कारण ये डील कैंसिल हो गई और टाटा ने अपनी कंपनी को नई ऊंचाई पर पहुंचाने की ठान ली. साल 2008 में जब फोर्ड कंपनी की हालत पतली हुई तो रतन टाटा ने लैंड रोवर और जगुआर सेगमेंट को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया. आज ये बेहद लग्जरी ब्रांड है.